लालची कॉकरोच और छिपकली.

 एक राजा का बड़ा सा महल था. उस महल में वह बहुत शानो-शौकत के साथ रेहता था. उसी महल में छुप कर एक छिपकली और एक कॉकरोच रहते थे. दोनों अच्छे दोस्त थे. बहुत मज़े से वो दोनों राजा से छिपकर, आराम से अच्छा-अच्छा खाना खाते थे. अचानक एक दिन राजा ने उन्हें खुद के शयन-कक्ष में, दरवाज़े के पीछे देख लिया. राजा ज़ोर से चिल्लाया-” सेवको,मैंने अभी मेरे कक्ष में छिपकली और कॉकरोच देखा है. कल ही इन दोनों को खोज कर इनको मार दिए जाए.”

राजा का हुक्म सुन कर पूरे महल में हल चल हो गई. सभी कॉकरोच और छिपकली को ढूंढ़ने में लग गए. छिपकली और कॉकरोच बहुत डर गए थे. वो कहीं से, महल से भागने का मौका और रास्ता ढूंढ़ने लगे. उन्होंने छुप के चारों तरफ देखा लेकिन महल के सब दरवाज़े बंद थे. उन दोनों ने हार कर वहीँ महल की काल-कोठरी में छुपने का फैसला किया, पूरी रात वहीँ निकाली और सोचा की सुबह होते ही यहाँ से निकल जाएंगे, नहीं तो राजा हमें ढुँढ़वा के मरवा देगा. काल-कोठरी में बहुत अँधेरा होने के कारण कोई उन्हें रात भर ढूंढ न पाया था.

जल्दी ही सुबह हो गई .

छिपकली ने कॉकरोच को बोला – “चलो बहार निकलें, महल का मुख्य द्वार खुला है और सभी सेवक भी अभी सोए हुए हैं .”

“अरे बहार क्यों जाना है, देखा ना हमें कोई ढूंढ नहीं सका है. महल के जैसा आराम और चटपटा खाना कहाँ मिलेगा बहार हमें.”- कॉकरोच ने लालची मन से जवाब दिए.

छिपकली बोली-” कॉकरोच, हमने बहुत मज़े कर लिए और लालची मत बनो. अब और यहाँ रहे तो मारे जाएंगे. वक़्त आ गया है मेहनत कर के खाना खाने का.”

” नहीं-नहीं. अब मुझसे ना होगी मेहनत. कल इतने सैनिक मिल कर मुझे ना पकड़ सके, तो आगे भी नहीं पकड़ पाएंगे.” – लालची कॉकरोच ने बहुत घमंड से बोला.

” ठीक है, तुम्हारी मर्ज़ी. मैं तो ये चली.”- छिपकली बोली और महल से बहार निकल गयी.

उसी सुबह छिपकली के जाने के बाद राजा ने सेवकों से पुछा-” क्या छिपकली और कॉकरोच मिले?”

सेवको ने बोला-” नहीं महाराज, वो बहुत छोटे हैं और इतने बड़े महल में उन्हें ढूँढना बहुत मुश्किल.”

राजा ने उपाय दिया की महल के हर कोने में स्वादिष्ट भोजन में जहरीली दवाई डाल के रख दो. मुझे विश्वास हैं दोनों खाने ज़रूर आएँगे और खाते ही मर जाएंगे. सेवकों ने ऐसा ही किया.

इस बात से अनजान कॉकरोच ने स्वादिष्ट भोजन की खुशबू सूंघ कर उसे खाना शुरू किया. थोड़ी ही देर में वो चिल्लाने लगा. सब सेवक दौड़ के आए तो देखा की कॉकरोच तड़प रहा था और बोल रहा था – ” काश मैं भी छिपकली के साथ बहार निकल गया होता और मैंने लालच नहीं किया होता तो आज मेरी ये स्थिति ना होती. सच लालच का अंत बुरा होता है” इतना ही बोला और कॉकरोच मर गया.

शिक्षा- १) लालच बुरी बाला है.

          २) भगवान बचने का रास्ता बार बार नहीं दिखते.

          ३) मेहनत से मत डरो.