आलसी बैल और किसान.

एक बार की बात है एक गांव में एक किसान रहता था जिसका नाम मोहन था. वह अपनी बैल के साथ रहता था. मोहन बहुत मेहनती था और बैल बहुत आलसी. मोहन रोज़ खेत में खूब मेहनत कर के अनाज उगता, उस मेहनत से उगे अनाज को थोड़ा वो बाजार में बेच के पैसे कमाता और थोड़ा खुद के और बैल के लिए रख लेता. किसान बैल को बहुत प्यार करता था. उसे भर पेट खाने को देता और उसका बहुत ध्यान रखता. लेकिन वह आलसी बैल फिर भी बिलकुल काम नहीं करना चाहता था.

मोहन रोज़ सुबह जल्दी उठता और बैल के लिए खाना बनता, उसे उठता, प्यार करता और काम पर चलने को कहता.

लेकिन वह बैल बिलकुल बिना मन के रोज़ खेत पर जाता और काम भी अच्छे से नहीं करता. ज्यातातर काम मोहन खुद ही करता था लेकिन बैल को कोई फर्क नहीं पड़ता. वो सोचता मैं क्यों काम करुँ जब मुझे आराम से खाने को मिल रहा है.

मोहन उसको बहुत समझाता की अभी हम दोनों जवान हैं, हम में ताकत है तो हमें मेहनत कर के ज्यादा से ज्यादा अनाज ऊगा के उसको बेच के पैसे जमा करना चाहिए ताकि मुसीबत के वक़्त और बुढ़ापे में हमें तकलीफ न हो. लेकिन बैल उसका मज़ाक बनता और मोहन की एक न सुनता .

धीरे- धीरे मोहन भी बूढ़ा होने लगा, अब वो भी ज्यादा काम न कर पता था. जो भी थोड़ी बहुत मेहनत से उगता और उससे जो भी थोड़ी बहुत कमाई होती उससे वो अपना और बैल का गुज़ारा कर लेता. अब उसने बैल को कुछ भी समझाना बंद कर दिया था. उसे पता था की बैल की बुद्धि में कुछ न आने वाला. वह बैल की आदतों से हार चुका था लेकिन उससे प्यार करता था इसलिए उसको घर से जाने को न कह पाता.

एक दिन अचानक मोहन की मृत्यु हो गई. बैल अब अकेला रह गया. थोड़े दिन उसने मोहन के बचे पैसे से काम चलाया लेकिन जल्दी ही वो पैसे ख़त्म हो गए. आखिर बैठे-बैठे बैल कब तक खा पता. बिना मेहनत के ज़्यादा दिन मज़े कर पाना किसी के लिए मुमकिन नहीं. अब बैल के पास कुछ न था. वो भी बूढ़ा हो गया था, ना ही काम करने की शक्ति, ना ही मोहन.. जो उसे बैठे-बैठे खिला दे.  

बैल को अब मोहन की कही सारी बातें याद आ रही थीं. उसे अब समझ आ रहा था की उसने कितनी बड़ी गलती करी है उसके मालिक की बात न मान कर. उसके पास अब खाने को कुछ न था. वो रोज़ अपने मालिक मोहन को याद करता और रोता रहता. मोहन के मर जाने के बाद उसको समझ आया की मोहन उससे कितना प्यार करता था लेकिन अब तो मोहन भी था जिससे वो माफ़ी मांगे.

sad after Mohan dies.

दिन यूं हे गुज़रते गए और वो बैल भी जल्दी ही खाने की कमी के कारण मर गया.

शिक्षा- १) आलस करना अच्छी बात नहीं है.

         २) हमारा अपना हमें समझाए तो उसकी बात माननी चाहिए. वो हमारे भले के लिए ही बोलेगा.

३) अब पछतावत होत क्या जब चिड़िया चुघ गयी खेत.