एक बार की बात है एक घने जंगल में दो खरगोश रहते थे. चिकि और बानू. दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. रोज़ साथ में खाना ढूंढ़ने जाते, साथ में खेलते और हर काम साथ में करते थे. लेकिन दोनों का स्वभाव बहुत अलग-अलग था. चिकि हमेशा एक काम ख़त्म करता था, फिर दूसरा शुरू करता और बानू को लगता था की सब काम एक साथ ख़त्म कर ले तो जल्दी से फ्री हो कर खूब खेलेंगे.
एक दिन चिकि और बानू को देर रात बहुत तेज़ भूख लगी. सोचने लगे क्या करें. दोनों को नींद भी बहुत आ रही थी लेकिन कुछ बिना खाए सो भी नहीं पा रहे थे.
चिकि बोला-” चलो घर से निकलते हैं और कुछ ढून्ढ के खाते हैं.” बानू भी उसके साथ चल पड़ा. खाने की तलाश में वो बहुत दूर निकल गए. दोनों चलते चलते थक भी गए थे और नींद से बेहाल थे. कुछ दूर और चलने के बाद उनको एक गाज़र का खेत दिखा .वो उसमे घुस गए और जल्दी से उनके मनपसंद गाज़र को खाना शुरू कर दिया.
बानू ने एक ही गाज़र खाया और आदत के मुताबिक बोला – ” चिकि, चल अब थोड़ा पेट भर गया है ,घर चल के सो जाते हैं, थोड़ी भूख तो मिट गई. वापस भूख लगेगी तब वापस आ जाएंगे. सोने का काम भी साथ साथ करते हैं.’
चिकि बोला-” हम घर से बहुत दूर हैं, वापस घर पहुंचते-पहुंचते भूख लग गई तो वापस नहीं आ पाएंगे. सोने के बाद और ज्यादा भूख लगी तो नींद भी नहीं आएगी, तब भी वापस आना पड़ेगा. क्यों ना अभी ही एक काम ख़त्म करते हैं, पेट भर खा लेते हैं फिर जा कर आराम से घर में सो जाएंगे.”
बानू नहीं माना और बोला-” तू यहीं रुक के खा के आना. मैं तो जा रहा हूँ घर.” और वो घर की और आधा खाली पेट ले के चल पड़ा.
चिकि ने बहुत सारे गाज़र खाए और जब पूरा पेट भर गया, तब वो घर की तरफ निकला. लेकिन ये क्या देखा उसने, बानू वापस गाज़र के खेत की ओर लौट रहा था.
चिकि ने बानू से पुछा-” क्या हुआ बानू तू वापस आ रहा है? नींद नहीं आई क्या?”
बानू बोला-” नहीं- नहीं, मैं घर के पास पहुंच ही गया था की फिर और भूख लगने लगी तो लौट आया.”
” ठीक है लेकिन अब पूरा पेट भर खा लेना.” चिकि बोला और घर की तरफ चल पड़ा. घर पहुंच कर वो आराम से सो गया.
बानू ने आदत के मुताबिक फिर एक ही गाज़र खाया और घर की तरफ लौट चला और जा कर सो गया.
सोए हुए अभी दो घंटे ही हुए थे की बानू की नींद फिर से खुल गई, उसे भूख लगी थी. वो फिर गाजर के खेत में गया, थोड़ा खाया और आ कर वापस सो गया. ऐसा वो पूरी रात करता रहा .
सुबह होते-होते बानू बहुत थक गया था. उसकी न तो रात की नींद पूरी हुई थी, न ही खाने का मज़ा आया था. दूसरी ओर उसने देखा की चिकि पूरी रात मज़े से सो रहा था. बानू उदास हो गया.
चिकि सुबह उठा तो बानू का उदास चेहरा देख के पुछा- “क्या हुआ बानू? उदास क्यों लग रहे हो ?”
बानू को अब समझ आ गया था की उसके काम करने का तरीका कितना गलत था और वो दोनों काम साथ करने के चक्कर में एक काम भी सही से नहीं कर पाया था.
बानू ने चिकि को गले लगाया और बोला – ” चिकि मुझे समझ आ गया है की एक काम ख़तम कर के ही दूसरा शुरू करना चाहिए.
शिक्षा- अधूरे काम को छोड़ के नया काम शुरू मत करो.